14. वृत्रासुर का पूर्व चरित्र
वृत्रासुर का पूर्व चरित्र गुरु, गुरु वार मंत्री, वारशुक्र राष्ट्र वार शनि दुर्ग रवि वार sun day कोष सोम,moonday सेना tuesday Mangal वार मित्र wednessday, बुध वार प्राचीन कालकी बात है, शूरसेन देशमें चक्रवर्ती सम्राट् महाराज चित्रकेतु राज्य करते थे। उनके राज्यमें पृथ्वी स्वयं ही प्रजाकी इच्छा अनुसार अन्न-रस दे दिया करती थी ।।१०।। उनके एक करोड़ रानियाँ थीं और ये स्वयं सन्तान उत्पन्न करनेमें समर्थ भी थे। परन्तु उन्हें उनमेंसे किसीके भी गर्भसे कोई सन्तान न हुई । । ११ । । यों महाराज चित्रकेतुको किसी बातकी कमी न थी । सुन्दरता, उदारता, युवावस्था, कुलीनता, विद्या, ऐश्वर्य और सम्पत्ति आदि सभी गुणोंसे वे सम्पन्न थे। फिर भी उनकी पत्नियाँ बाँझथीं, इसलिये उन्हें बड़ी चिन्ता रहती थी १२।। वे सारी पृथ्वीके एकछत्र सम्राट् थे, बहुत-सी सुन्दरी रानियाँ थीं तथा सारी पृथ्वी उनके वशमें थी । सब प्रकारकी सम्पत्तियाँ उनकी सेवामें उपस्थित थीं, परन्तु वे सब वस्तुएँ उन्हें सुखी न कर सकीं ।। १३ ।। एक दिन शाप और वरदान देनेमें समर्थ अंगिरा ऋषि स्वच्छन्दरूपसे विभिन्न लोकों में विचरते हुए राजा चित्रकेतुके महलम...
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