8 नारायण कवच
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpIVLurOKKiacxo1d3B6vBMxsYE0WCSdszMf6sms3feFk1sS8zCbK0cL8INggOh2csxttc9VPS41GmQO26_H3UTnbDZkLB6fwpsiNafmdzMPp3VQeCUqa0zT_VOLfpXukY9OL1jC9NS98ROyvr88ppj4Cjq4FFYIGUpWBQaOf98VYjYqjS3vA01g/s320/IMG_20220928_172330.jpg)
*ज्ञानस्वरूपभगवान में किसी प्रकारका भेदभाव नहीं है।* 1.कुछ लोग मानते हैं कि असत हैं (जगतकीउत्पत्ति होती है )और कुछ लोग कहते हैं कि सत-रूप हैं (दुखोंका नाश होने पर मुक्ति मिलती है।) 2.दूसरे लोग आत्मा को अनेक मानते हैं तो कई लोग कर्मके द्वारा प्राप्त होने वाले लोक और परलोकरूप व्यवहार को सत्य मानते हैं। 3.इसमें संदेह नहीं कि यह सभी बातें भ्रममूलक है और वे आरोप करके ही ऐसा उपदेश करते हैं। 4.पुरुष त्रिगुणमय है -इस प्रकार का भेदभाव केवल अज्ञानसे ही होता है और भगवान अज्ञानसे सर्वथा परे है।