15. मंत्रोपनिषद
तुम एकाग्र चित्र से मुझसे यह मंत्र उपनिषद ग्रहण करो इसे धारण करने से 7:00 रात में ही तुम्हें भगवान संकर्षण का दर्शन होगा।27
नरेंद्र प्राचीन काल में भगवान शंकर आदि ने श्री संकर्षण देव के ही चरण कमलों का आशय लिया था इससे उन्होंने जो एक भ्रम का परित्याग कर दिया और उनकी उस महिमा को प्राप्त हुए जिस से बढ़कर तो कोई है ही नहीं समान भी नहीं है तुम भी बहुत शीघ्र ही भगवान के उसी परम पद को प्राप्त कर लोगे।28
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